इस्लाम में अज़ान एक ऐसी पुकार है जो इंसान को दुनिया के शोर से निकालकर अल्लाह की तरफ खींच लेती है। जब मुअज्ज़िन “अल्लाहु अकबर” की पुकार लगाता है, तो ऐसा लगता है जैसे दिल पर एक नूर उतर रहा है। यह सिर्फ नमाज़ का समय बताने वाली आवाज़ नहीं है, बल्कि एक रूहानी दावत है।
अज़ान खत्म होने के बाद एक खास दुआ पढ़ी जाती है। इसके बारे में हदीस में बहुत बड़ी फ़ज़ीलत बयान हुई है—यह दुआ नबी ﷺ की शफ़ाअत पाने का ज़रिया बनती है। इस लेख में हम दुआ, उसका गहरा मतलब, फ़ज़ीलत और सुन्नत तरीक़ा प्रमाणिक रेफ़रेंस के साथ जानेंगे।
Azaan Ki Dua (Arabic)

اللَّهُمَّ رَبَّ هذِهِ الدَّعْوَةِ التَّامَّةِ، وَالصَّلَاةِ الْقَائِمَةِ، آتِ مُحَمَّدًا الْوَسِيلَةَ وَالْفَضِيلَةَ، وَابْعَثْهُ مَقَامًا مَحْمُودًا الَّذِي وَعَدْتَهُ
हिंदी में अनुवाद
“हे अल्लाह! इस पूरी पुकार और होने वाली नमाज़ के रब! मोहम्मद ﷺ को वसीला और फ़ज़ीलत अता कर, और उन्हें उस मक़ामे महमूद पर पहुँचा दे जिसका तूने उनसे वादा किया है।”
⭐ अज़ान की दुआ का आसान और गहरा मतलब
इस दुआ में तीन सुंदर बातें शामिल हैं:
✔️ अज़ान की पुकार को स्वीकार करना
हम मानते हैं कि अज़ान इंसानों की घोषणा नहीं, बल्कि अल्लाह की तरफ से बुलावा है।
✔️ नबी ﷺ के लिए ‘वसीला’ और ‘फ़ज़ीलत’ की दुआ
‘वसीला’ वह खास मारतबा है जो जन्नत में सिर्फ एक ही व्यक्ति को मिलेगा — और वह हमारे नबी मुहम्मद ﷺ हैं।
Reference:
📘 Sahih Muslim 384 — نبی ﷺ ने फरमाया: “वसीला जन्नत में एक खास दर्जा है, जो सिर्फ एक ही बन्दे को मिलेगा, और मैं उम्मीद करता हूँ कि वह मैं हूँ।”
✔️ क़ियामत के दिन ‘मक़ामे महमूद’
यह वह स्थान है जहाँ नबी ﷺ को आम सिफ़ारिश का अधिकार मिलेगा।
⭐ अज़ान की दुआ क्यों पढ़ना चाहिए? (Benefits with References)
⭐ 1. नबी ﷺ की शफ़ाअत का वादा
हदीस के मुताबिक:
“जो व्यक्ति अज़ान सुनकर मेरे लिए यह दुआ पढ़ेगा, मेरे लिए उसकी शफ़ाअत वाजिब हो जाएगी।”
Reference:
📘 Sahih al-Bukhari, Hadith 614
यानी क़ियामत के दिन नबी ﷺ स्वयं उसकी सिफ़ारिश करेंगे — इससे बड़ी कोई नेमत नहीं।
⭐ 2. दिल को सुकून मिलता है
अज़ान का जवाब देना और दुआ पढ़ना दिल पर नूर और सुकून उतारता है।
इबादत की तरफ रुझान बढ़ जाता है।
⭐ 3. नमाज़ की पाबंदी में मदद
अज़ान के बाद दुआ पढ़ने वाले लोग नमाज़ में अधिक पक्के हो जाते हैं। यह दुआ ईमान को ताज़ा करती है।
⭐ 4. घर में बरकत और रहमत आती है
अज़ान का जवाब देना और दुआ पढ़ना घरों को रोशन करता है और वहां रहमतें उतरती हैं।
⭐ अज़ान सुनने का सुन्नत तरीका (Authentic Method)
✔️ 1. सभी काम रोक देना
अज़ान सुनते ही इंसान खामोश हो जाए।
Reference:
📘 Sunan Ibn Majah 719 — “अज़ान सुनकर जवाब दो।”
✔️ 2. मुअज्ज़िन के हर शब्द को दोहराना
सिवाय:
- “हय्या ‘अलस्सलाह”
- “हय्या ‘अललफलाह”
इन पर कहें:
“ला हौला वला क़ुव्वता इल्ला बिल्लाह।”
Reference:
📘 Sahih Muslim 385
✔️ 3. अज़ान खत्म होने पर दुरूद शरीफ पढ़ना
Reference:
📘 Sunan Abu Dawood 5242 — “अज़ान सुनकर मुझ पर दुरूद भेजो।”
✔️ 4. आखिर में अज़ान की दुआ पढ़ना (मुख्य सुन्नत)
⭐ मोबाइल, TV या ऐप पर सुनी गई अज़ान — क्या दुआ पढ़ सकते हैं?
जी हाँ।
उलमा के मुताबिक नक़ल की गई अज़ान (recorded) पर भी दुआ पढ़ना जायज़ है, क्योंकि दुआ अज़ान के आम सुनने से जुड़ी है, चाहे लाइव हो या रिकॉर्डेड।
⭐ क्या महिलाएँ भी अज़ान की दुआ पढ़ सकती हैं?
जी हाँ, बिल्कुल।
अज़ान सुनने पर और उसके बाद दुआ पढ़ने में मर्द और औरत दोनों बराबर हैं।
⭐ बच्चों को अज़ान की दुआ कैसे सिखाएँ?
- हर अज़ान के बाद साथ में पढ़ाएँ
- दीवार पर अरबी + हिंदी प्रिंट लगाएँ
- छोटे हिस्सों में याद करवाएँ
- दुआ का मतलब भी समझाएँ
बच्चों को यह दुआ बहुत जल्दी याद होती है।
⭐ निष्कर्ष
अज़ान अल्लाह की तरफ से एक खूबसूरत पुकार है, और उसके बाद पढ़ी जाने वाली दुआ इंसान को अल्लाह के करीब कर देती है।
इस दुआ का सबसे बड़ा इनाम यह है कि नबी मुहम्मद ﷺ क़ियामत के दिन उसकी सिफ़ारिश करेंगे जिसने इसे सच्चे दिल से पढ़ा।
हर मुसलमान को चाहिए कि अज़ान सुनते ही दुनिया के काम छोड़कर इस दुआ को पढ़े — यही दुआ उसकी अाखिरत को रोशन कर सकती है।
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